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मुख्य न्यायाधीश रमन ने सुप्रीम कोर्ट में दो न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जमशेद बी पारदीवाला ने आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्हें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने शपथ दिलाई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या नवंबर, 2019 के बाद स्वीकृत पदों के बराबर यानी 34 हो गई। हालांकि, यह सुखद स्थिति महज दो दिन यानी मंगलवार तक ही रहेगी, क्योंकि 10 मई को जस्टिस विनीत शरण सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

नवंबर, 2019 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या स्वीकृत पदों के बराबर यानी 34 हो गई। हालांकि, 10 मई को जस्टिस शरण के सेवानिवृत्त होने के बाद यह संख्या घटकर 33 रह जाएगी। इसके अलावा गर्मी की छुट्टी के दौरान सात जून को जस्टिस एल नागेश्वर राव भी सेवानिवृत्त होंगे।

वहीं जस्टिस एएम खानविलकर 29 जुलाई, चीफ जस्टिस (सीजेआई) एनवी रमण 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सेवानिवृत्ति से पहले सीजेआई रमण के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तीन और रिक्तियां हो जाएंगी। यही नहीं, जस्टिस इंदिरा बनर्जी इसी वर्ष 23 सितंबर और जस्टिस यूयू ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक सुप्रीम कोर्ट के छह और जज सेवानिवृत्त होंगे।

उत्तराखंड के हैं जस्टिस धूलिया

जस्टिस धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल के दूरस्थ गांव मदनपुर के रहने वाले हैं। 10 अगस्त 1960 को जन्मे जस्टिस धूलिया की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुई। उन्होंने स्नातक और कानून की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की। वह 1986 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार में शामिल हुए और 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद गृह राज्य चले गए। उन्हें 2004 में एक वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया था। नवंबर 2008 में पदोन्नत होकर उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। बाद में असम, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे।

2027 में सीजेआई बनेंगे जस्टिस पारदीवाला

12 अगस्त, 1965 को मुंबई में जन्मे जस्टिस पारदीवाला की स्कूली शिक्षा गृह नगर वलसाड (दक्षिण गुजरात) के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से हुई। उन्होंने जेपी आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से स्नातक किया। वर्ष 1988 में केएम मुलजी लॉ कॉलेज, वलसाड से कानून की डिग्री हासिल की। वह वकीलों के परिवार में चौथी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर हैं। उनके पिता स्वर्गीय बुर्जोर कावासजी पारदीवाला ने वलसाड और नवसारी जिलों में 52 वर्षों तक वकालत की। वो कुछ समय के लिए गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। जस्टिस पारदीवाला ने वर्ष 1990 में गुजरात हाईकोर्ट से वकालत की शुरुआत की। जस्टिस पारदीवाला 2027 में जस्टिस बीवी नागरत्ना के बाद चीफ जस्टिस भी बनेंगे।

Yuva Media

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