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उप्र ने बेहतर जीवन और आसान व्यापार की ओर बढ़ाया कदम

  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से व्यापार और औद्योगीकरण को मिलेगा बढ़ावा

लखनऊ। दैनिक जीवन, व्यापार और परिवार से जुड़े आवश्यक काम पूरे करने में उत्तर प्रदेश में सरकारी विभाग त्वरित समाधान देने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। इस वजह से, प्रदेश ईज ऑफ लिविंग (सुलभ जीवन) के मानकों पर लगातार बढ़ रहा है। इसी के साथ, व्यापार और औद्योगीकरण के बढ़ावा देने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में भी अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं और आने वाले समय में इसे और भी सुलभ बनाया जाएगा।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि विभिन्न विभागों द्वारा अपनी 100 दिन, 6 माह, 2 वर्ष और 5 वर्ष की कार्य योजना के अनुसार, दोनों ही मानकों पर सरकार द्वारा कई कदम उठाया जाना प्रस्तावित है। ईज ऑफ डूइंग बिजनस की दिशा में कदम उठाते हुए प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि पांच करोड़ रुपये तक वार्षिक टर्न ओवर के सामान्य व्यापारियों के लिए मासिक भुगतान और त्रैमासिक रिटर्न की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। शून्य खरीद-बिक्री वाले व्यापारियों को एसएमएस से रिटर्न दाखिल करने की सुविधा दी गई है।

प्रवक्ता ने बताया कि आगामी 100 दिनों में विभाग द्वारा व्यापारिक संगठनों, बार एसोसिएशन आदि से संपर्क कर, 35 हजार नए व्यापारियों को पंजीकृत किया जाएगा। आगामी दो वर्षों में प्रदेश में जीएसटी ट्राइब्यूनल की स्थापना की जाएगी। व्यापार के क्षेत्र में वर्ष 2017 से प्रदेश में जीएसटी कर प्रणाली लागू की गई, और 17 सितंबर 2021 को जीएसटी काउन्सल की बैठक सफलतापूर्वक लखनऊ में आयोजित की गई थी, जिसके लिए प्रदेश सरकार की सराहना की गई।

उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और आसान बनाते हुए, वर्ष 2017 से अनलाइन लेखपत्र पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई है और 2020 से, आनलाइन निबंधन शुल्क के भुगतान के लिए कैशलेस सुविधा शुरू की गई है। आनलाइन पंजीकरण प्रणाली प्रेरणा 3.0 के अंतर्गत, अन्य विभागों से वेब सर्विस के माध्यम से यह प्रक्रिया संयोजित की गई है।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार आगामी 100 दिनों में उप-निबंधक कार्यालय में सीसीटीवी और राज्यस्तर पर कमांड सेंटर के माध्यम से कार्य की मानिटरिंग की जाएगी। लोगों की सुविधा के लिए आगामी 6 माह के अंदर 01 जनवरी, 2018 के बाद पंजीकृत लेखपत्र की अनलाइन सर्टिफाईड कॉपी की उपलब्धतात सुनिश्चित की जाएगी। अगले 2 एवं 5 वर्षों में समस्त पंजीकृत लेखपत्र की स्कैनिंग और डिजिटाइजेशन का कार्य पूरा किया जाएगा। इससे नागरिकों को अपने डॉक्यूमेंट और अन्य संबंधित कार्य करने में आसानी होगी।

ईज ऑफ लिविंग वह मानक (इंडेक्स) है जो शहरों में शहरी विकास के लिए जीवन की गुणवत्ता और विभिन्न पहलुओं के प्रभाव का मूल्यांकन करता है। इसमे जीवन स्तर, आर्थिक क्षमता, जीवन की स्थिरता और लचीलापन शामिल हैं। यह एक नागरिक धारणा सर्वेक्षण के माध्यम से शहर प्रशासन द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर निवासियों के दृष्टिकोण को भी शामिल करता है।

प्रदेश के शहरों को बेहतर बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं और आगामी 100 दिनों से 5 वर्षों के बीच, शहरों के निवासियों के इए क्यों सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। लखनऊ में शहर के आधुनिकीकरण और नवीकरण की दिशा में स्मार्ट सिटी की कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। साथ ही, अन्य शहरों में भी समावेशी शहरी विकास की योजनाएं लागू की जा रही हैं।

ई-गवर्नन्स और रिफॉर्म्स (व्यवस्था सुधार) के लिए भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। शहरी व्यवस्था के बेहतर संचालन के लिए डेडिकेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर की स्थापना लखनऊ में की गई है जिसके माध्यम से शहरी सफाई के कार्य संचालित किये जा रहे हैं। स्वस्थ एवं प्रदूषण मुक्त शहरों की ओर बड़े कदम उठाते हुए, प्रदेश के शहरों में जल आपूर्ति, सीवर, कूड़ा निस्तारण आदि का काम आने वाले 100 दिनों में शत प्रतिशत पूरा किया जाएगा।

Yuva Media

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