राष्ट्र-राज्य

रक्षा मंत्री ने माना- उत्तरी क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में चीनी सेना की मौजूदगी बढ़ी

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के लिए नई तकनीक के माध्यम से क्षमता बढ़ाए बीआरओ
  • बदलते समय के साथ सीमा क्षेत्र का बुनियादी विकास करना हमारी रक्षा रणनीति का हिस्सा

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल के दिनों में उत्तरी क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी बढ़ी है, क्योंकि वे पर्वतीय क्षेत्रों के निर्माण कार्य में निपुण होने के कारण बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं। इसलिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को भी सीमावर्ती इलाकों में नई तकनीक का इस्तेमाल करके चीन के समानांतर काम करना जारी रखने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने बुनियादी ढांचे का विकास करने का आह्वान करते हुए कहा कि बदलते समय के साथ सीमा क्षेत्र का विकास करना हमारी रक्षा रणनीति का हिस्सा है।

राजनाथ सिंह शनिवार को नई दिल्ली में संगठन के 63वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बीआरओ के सभी रैंकों को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेगा और साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग जितने अधिक सशक्त होंगे, वे उन क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर उतने ही अधिक जागरूक और चिंतित होंगे। इसलिए बदलते समय के साथ हम अपने सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। देश की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वालों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे भी उपस्थित थे।

उन्होंने कहा कि बीआरओ के पहले प्रोजेक्ट की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश के ‘भालुकपोंग’ और ‘टेंगा’ जैसे सुदूर गांवों को आपस जोड़ने से हुई थी। आगे चलकर जनपदों, राज्यों और प्रांतों को आपस में जोड़ने वाला बीआरओ आज हमारे मित्र राष्ट्रों में अपनी सेवाएं दे रहा है। राष्ट्र की प्रगति में सड़कों, पुलों और सुरंगों के महत्व को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि बीआरओ की परियोजनाओं ने सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाने के साथ ही सीमावर्ती लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। उत्तर-पूर्व जैसे क्षेत्र न केवल खुद को विकसित कर रहे हैं, बल्कि देश की सर्वांगीण प्रगति के लिए प्रवेश द्वार भी बन गए हैं। इन क्षेत्रों का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत को दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ता है।

महानिदेशक सीमा सड़क (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बीआरओ कर्मियों को नए जोश और समर्पण के साथ उत्कृष्टता के पथ पर जारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सुरंग और हवाई क्षेत्र निर्माण परियोजनाओं को जल्द ही समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने दिल्ली में तैनात बीआरओ कर्मियों के लिए टोडापुर में आवास परिसर की आधारशिला भी रखी, जहां 323 क्वार्टर होंगे। राजनाथ सिंह ने भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) द्वारा विकसित दो सॉफ्टवेयरों- बीआरओ संसाधन प्रबंधन प्रणाली और बीआरओ बजट प्रबंधन प्रणाली भी लॉन्च की। यह सॉफ्टवेयर संसाधनों के वितरण और उपयोग के साथ-साथ बीआरओ के बजट को स्वचालित करेंगे।

Yuva Media

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