अन्य खबर

मथुरा : होलिका प्रतिमाएं बनाने में जुटे हैं कारीगर, मेहनत और लागत के एवज में नहीं मिल रहा मूल्य

मथुरा। मथुरा के प्रसिद्ध होली गेट स्थित अंतापाड़ा के अम्बाखार इलाके में इन दिनों होलिका की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है, जो मथुरा के साथ-साथ कई जिलों में भेजी जाएंगी। शहर के विभिन्न गली-मौहल्ले कॉलोनियों में स्थापित होने वाली होलिका प्रतिमाओं को मूर्ति कलाकार और उनके परिवार अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि प्रतिस्पर्धा के चलते एक प्रतिमा को बनाने में जितनी मेहनत और लागत लगती है, उसके एवज में मूल्य नहीं मिल पाता। विदित रहे कि होलाष्टक प्रारंभ होने पर शहर के विभिन्न चौराहों पर इन होलिकाओं की प्रतिमा रखी जाएंगी। होलिका के साथ-साथ प्रह्लाद एवं सिंहासन की डिमांड के अनुसार तैयार की जाती है।

शहर के अम्बाखार इलाके में लंबे समय से आधा दर्जन से अधिक परिवार मूर्ति कारोबार से जुड़े हुए हैं। नवदुर्गा पर दुर्गा प्रतिमा, गणेश चर्तुथी पर गणेश प्रतिमा, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रतिमाएं और मिट्टी के खेल-खिलौने बनाने वाले ये कारीगर उत्सव और त्यौहारों को बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। पिछली तीन पीढ़ियों से मूर्ति बनाने के कारोबार से जुडे़ उमाशंकर का कहना है कि वे अपने बाबा के जमाने से मूर्तियां बना रहे हैं। पहले मिट्टी और रद्दी की लुग्दी से प्रतिमा को रूप दिया जाता है। कुछ लोग सफेद सीमेंट (पीओपी) का भी इसके लिये इस्तेमाल करते हैं।

प्रतिमाओं को बनाने के बाद इन्हें सुखाने के साथ शुरू होती है इन पर रंग की प्रक्रिया। आकर्षक तरीके के रंग से सजायी गयी इन प्रतिमाओं को कपडे़ भी आकर्षक ढंग से पहनाये जाते हैं और इन पर गहने भी पहने दिखाये जाते हैं। कुल मिलाकर प्रतिमा को बनाने में परिवार के महिला, पुरूष और बच्चे एक-एक महीने से दिन रात जुटे रहते है, लेकिन इसके बाद प्रतिमा का वह मूल्य नहीं मिला पाता जिसकी इन कलाकारों को उम्मीद है। उमाशंकर इसका कारण प्रतिस्पर्धा का युग बताते हैं। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं और अपना माल खत्म करने की उधेड़बुन में यह प्रतिमा को लागत मूल्य से 100-200 रूपये फायदे पर ही बेच देते हैं जिससे कलाकारों को मूर्ति की वास्तविक कीमत नहीं मिल पाती।

कारीगर उमाशंकर ने बताया कि कई सालों से हम लोग अम्बाखार एवं नौगजा में होलिका की प्रतिमा तैयार करते चले आ रहे हैं, नवरात्रि पर दुर्गा की प्रतिमा, गणेश प्रतिमा, दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश और जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं तैयार की जाती है। इन दिनों लोगों की डिमांड के अनुसार होलिका की प्रतिमा के साथ प्रह्लाद का पुतला और सिंहासन तैयार किया जाता है। यहां की बनी हुईं प्रतिमाएं हाथरस, आगरा, दिल्ली, भरतपुर और अलीगढ़ भेजी जाती हैं। 10 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा और शहर के सभी चौराहों पर होलिका की प्रतिमा रखी जाएंगी। वहीं मूर्ति कारीगर रामकिशोर ने बताया कि इनमें इको फ्रेंडली कलर तथा अन्य कलरों से आकर्षित बनाया जा रहा है।

Yuva Media

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button