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मानव सभ्यता पर भारी पड़ेगी पर्यावरण की अनदेखी

  • पर्यावरण संकट से निपटने में तकनीकी शिक्षा अहम

लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय एवं शिक्षा एवं संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। शिक्षा एवं संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल भाई कोठारी ने पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण की अनदेखी पूरी मानव सभ्यता पर भारी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि फिलहाल दुनिया के सामने आतंकवाद और पर्यावरण के रूप में दो बड़े संकट हैं। आतंकवाद पर तो फिर भी हम काबू पा लेंगे लेकिन यदि अभी प्रयास नहीं किये तो पर्यावरण की अनदेखी पूरी मानव सभ्यता पर भारी पड़ेगी। आज हवा, पानी, वायु जमीन सब प्रदूषित हो गयी है।

अतुल भाई ने कहा कि छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हम पर्यावरण बचाने में अपना योगदान दे सकते हैं। इसकी शुरूआत खुद से करनी होगी। फिर परिवार स्तर पर हमें सोच बदलनी होगी और अंत में समाज में पर्यावरण के प्रति प्रयास करना होगा। इस दिशा में तकनीकी शिक्षा के जरिये बहुत कुछ किया जा सकता है। तकनीकी छात्रों को इस तरह शिक्षा देनी चाहिए कि वह जो भी निर्माण करें उससे पर्यावरण के को क्षति न पहुंचे।

तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए पर्यावरण को शामिल कर छात्रों को प्रेरित किया जा सकता है। हमने अंधानुकरण कर अपनी ज्ञान परंपरा को छोड़ दिया। जबकि हमारी पुरातन शिक्षा में न केवल पर्यावरण की चिंता की गयी है बल्कि उसके संकट का समाधान भी बताया गया है। कहा कि हमें फिर से अपनी ज्ञान परंपरा की ओर लौटना पड़ेगा।

भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रकृति को बचाने का समाधान

उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते करते हुए कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने पर्यावरण को तकनीकी शिक्षा में समाहित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य तकनीकी के जरिये ही होता है। निर्माण ऐसा होना चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हो न की उसे नष्ट करने वाला। विकास का लक्ष्य विनाश नहीं बल्कि पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए मनुष्य के जीवन को सुविधाजनक बनाना होना चाहिए।

प्रो. प्रदीप मिश्र ने कहा कि हमने पश्चिमी दर्शन को ऐसा आत्मसात किया कि भारतीय ज्ञान परंपरा को भूल गये। परिणाम ये हुआ कि प्रकृति से नाता टूट गया। हमें भारतीय ज्ञान परंपरा की और लौटना पड़ेगा। उन्होंने प्रकृति को बचाने का समाधान भी बताया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वृषभ प्रसाद जैन ने कहा कि पर्यावरण संकट मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। आम जन में हमें प्रकृति के प्रति चेतना लानी होगी। कहा कि पहले हमारे घरों में ही हमें ऐसे संस्कार मिलते थे कि हम प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहते थे। लेकिन हमने अपनी प्राप्त परंपरा को ही नष्ट कर दिया। जब से हम उपभोक्तावादी बने तब से हमने प्रकृति को गहरी चोट दी है।

प्रकृति हमारे लिए अब सिर्फ उपभोग की वस्तु बनकर रह गयी है। यह मानसिकता बदलनी होगी। धन्यवाद प्रो. एचके पालीवाल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन मनीषा ने किया। विषय स्थापना न्यास के राष्ट्रीय संयोजक पर्यावरण संजय स्वामी ने की। इस मौके पर राजकुमार देवल, विजय कुमार गोस्वामी, डॉ0 इंदु चूड़न, गगन शर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Yuva Media

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