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प्रदूषण पर सुप्रीम सुनवाई: कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली को लगाई फटकार, पूछा- कब संजीदा होंगे आप? पढ़ें केंद्र और राज्य के आरोप-प्रत्यारोप

दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा कि प्रदूषण एक दिन की समस्या नहीं, फिर केंद्र और दिल्ली सरकार बताए कि पूरे साल इसके लिए क्या किया है? मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई की शुरुआत में केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सभी संबंधित राज्यों (यूपी, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली) के मुख्य सचिव और केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव बैठक में मौजूद रहे.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एन वी रमना ने कहा, ‘हम किसानों को दंडित या परेशान करना नहीं चाहते हैं. सरकारें इस मामले का खयाल रखें. टीवी डिबेट से इसका हल नहीं निकलेगा. आप बताएं क्या निर्णय लिया आपने?’ इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश सिंघवी ने कहा कि नवंबर में पराली का प्रदूषण बहुत रहता है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कानपुर आईआईटी ने हमें सुझाव दिया है कि इस पर नियंत्रण जरूरी है.

5 स्टार होटल में बैठकर किसानों को दोष देना आसान

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिर किसान को पराली क्यों जलाना पड़ता है. फाइव स्टार होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है. आप किसानों को मशीन मुहैया कराने कि क्षमता रखते हैं. कानपुर आईआईटी ने जो रिपोर्ट दी है. उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता. क्योंकि उसमें प्रदूषण कि सूची में फायर क्रैकर्स 15वें स्थान पर हैं.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अक्टूबर नवंबर में दिल्ली चोक हो जाती है. केंद्र और दिल्ली सरकार साल भर क्या करते हैं, पूरे साल क्यों ख्याल नहीं आता कि क्या करना है? उन्होंने सिंघवी से कहा कि आप बार-बार पूसा कि रिपोर्ट का हवाला दे रहे हैं. जबकि हकीकत ये है कि आप पूरी तरह ये फेल साबित हुए हैं. सिंघवी ने कहा, इन दो महीनों में पराली जलाने की घटनाओं को कम कर के नहीं आंक सकते. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सिंघवी से पूछा कि दिल्ली सरकार ने हाल-फिलहाल क्या निर्णय लिए हैं? सिंघवी ने कहा कि निर्माण कार्य रोक दिया गया. एंटी डस्ट कैंपेन अक्टूबर से चलाया जा रहा है. इस पर सीजेआई ने कहा कि पिछले हलफनामे में भी यही था. बहुत हो गया, आप लोग कब संजीदा होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि 69 स्वीपिंग मशीन के अलावा और कितनी खरीदी गई. दिल्ली सरकार ने बताया कि 15 स्वीपिंग मशीन का ऑर्डर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या 15 मशीन हजारों किलोमीटर के लिए काफी हैं? जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि एमसीडी ने जितनी मशीन मांगी, हमने उतने को अप्रूव कर दिया.

CJI ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जो केंद्र ने हलफनामा दिया है क्या उसे पूरा करने से प्रदूषण कम हो जाएगा? सिंघवी ने कहा नहीं, बिल्कुल नहीं, आप जो भी कहेंगे वो भी हम करेंगे. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा CNG की बसों की संख्या बढ़ाई जा सकती है. दिल्ली सरकार ने कहा कि बसों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है. कोर्ट वर्क फ्रॉम होम का आदेश दे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत झज्जर के DC को WFH का आदेश दिया गया था उसका क्या हुआ? इस पर हरियाणा सरकार ने कहा, कोर्ट जो आदेश देगा उसका पालन कराया जाएगा.

पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि हम दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आते हैं. इस पर CJI ने पूछा कि तो आप पर कुछ भी लागू नहीं होता? पंजाब ने कहा, नहीं, हमने अपनी तरफ से काफी उपाय किए हैं. पराली को डी कम्पोज करने की 76 हजार मशीन खरीदी गई हैं. इन मशीनों के खर्चे में 80 प्रतिशत केंद्र और 20 प्रतिशत ग्राम पंचायत का हिस्सा होता है. पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से फंड जारी करने की मांग की.

21 नवंबर के बाद सुधरेगी हवा, तब तक करें इंतजार

तुषार मेहता ने कहा, मौसम विभाग की रिपोर्ट है कि 21 नवंबर के बाद स्थिति सुधरेगी. मेरा अनुरोध है कि आदेश से पहले तब तक इंतजार किया जाए. इस पर डीवाईसी चंद्रचूड़ ने कहा, मूल रूप से 21 नवंबर तक प्रकृति आपके बचाव में आएगी? CJI ने कहा, जहां तक ​​प्रतिष्ठान आदि को बंद करने की बात है, हम 21 नवंबर को विचार कर सकते हैं. लेकिन निर्माण तो पूरे साल हो रहा है और इसका पराली जलाने आदि से कोई लेना-देना नहीं है.

वर्क फ्रॉम होम पर बहस

दिल्ली-NCR में 30 नवंबर तक 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम (WFH) करेंगे. प्राइवेट आफिस से भी इसको अपनाने के लिए बोला गया है. केंद्रीय कर्मचारी कार पूल करेंगे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कोरोना से केंद्र सरकार के काम पर प्रभाव पड़ा है इसलिए केंद्र अपने कर्मचारियों को WFH की इजाजत नहीं दी है. हमने अपने कर्मचारीयों को कार पूलिंग का निर्देश दिया है. WFH से केंद्र सरकार के काम पर असर पड़ता है. सीजेआई ने कहा कि केंद्रीय कर्मचारी घर से नहीं काम क्यों नहीं कर सकते? इस पर केंद्र ने कहा, वह बहुत कम हैं इसलिए.

CJI ने कहा, केंद्र सरकार से कहा कि आप अपने यहां WFH लागू करने पर विचार करिए. आपको कार्यालय में सभी 100 अधिकारियों की आवश्यकता नहीं है. आप इसके बजाय 50 अधिकारियों को बुला सकते हैं. तुषार मेहता ने कहा, दिल्ली जैसे राज्य के लिए वर्क फ्रॉम होम का असर दिल्ली पर पड़ेगा. लेकिन अगर हम वर्क फ्रॉम होम जाते हैं तो इसका पूरे भारत पर प्रभाव होगा.

जस्टिस सूर्यकांत ने सुझाव दिया कि सरकारी कर्मचारी कार इस्तेमाल करने की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, जिससे 10/15 कार की जगह एक बस में ही काम हो जाए. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई भी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता है. वहीं, सीजेआई ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी निष्क्रिय हो गई है. कोई भी अपने आप कुछ नहीं कर रहा है. अधिकारी इंतजार करते हैं कि कोर्ट आदेश पारित करे. उनका काम केवल हलफनामा पर हस्ताक्षर करना भर है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कोई आदेश जारी नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं होना चाहिए कि प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ढिलाई बरती जाए. मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

Yuva Media

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